दल बदल दिल
पुर्णिका _ दल बदल दिल।
जब दिल न लगे तुम्हारा दल बदल लेते हो।
कुर्सी जाने का डर नया यार बदल लेते हो।
न जाने कितने किया इश्क अपने मतलब से।
तोड़ सारे कश्मे वादे धीरे से निकल लेते हो।
ये तुम्हारा दिल कोई गहरा समंदर तो नही ।
जिसको चाहा अपने अंदर निगल लेते हो।
महबूब बदलना रिवायत है सियासत में।
जहा देखा चिकना चेहरा फिसल लेते हो।
नाम बदनाम हो जाए क्या फर्क पड़ता है।
सत्ता का मोह है बिना बात दखल देते हो।
चिंता जनता और अपनो नही सत्ता नशे में।
इश्क तो आता नही गैरों की नकल लेते हो।
श्याम कुंवर भारती
बोकारो झारखंड
Gunjan Kamal
30-Jan-2024 04:14 PM
👏👌
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Mohammed urooj khan
30-Jan-2024 01:34 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Varsha_Upadhyay
29-Jan-2024 10:50 PM
Nice
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